रोजगार सेवकों ने माँगा राज्य कर्मचारी का दर्जा(MGNREGA)

बरेली (MGNREGA) : राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर रोजगार सेवकों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। ग्राम रोजगार सेवक वेलफेयर एसोसिएशन की अगुवाई में गांधी उद्यान से पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे।Rojgarsewak

मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डिप्टी कलेक्ट्रेट उदित पवार को सौंपा। गांधी उद्यान में जिलाध्यक्ष गंगादीन की अगुवाई रोजगार सेवकों की मीटिंग हुई। गांधी उद्यान से हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर रोजगार सेवकों ने पैदल मार्च शुरू किया। कलेक्ट्रेट गेट पर जमकर नारेबाजी की।

प्रदर्शनकारियों ने 10 सूत्रीय मांग पत्र डिप्टी कलेक्टर को दिया। जिसमें ग्राम पंचयतों में सहायक सचिव और ग्राम विकास सहायक का पद सृजित कर रोजगार सेवकों को समायोजित करने की मांग की।

रोजगार सेवकों ने राज्य कर्मचारी का दर्जा और मानदेय 24 हजार रुपये करने की मांग की। राजस्थान, उड़ीसा और हिमांचल प्रदेश की तरह रोजगार सेवकों को नियमित करने को कहा। इस मौके पर आरके गंगवार, सतीश कश्यप, रमेश चंद्र आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम(MGNREGA) : 

रोजगार सेवक देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार से संबंधित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं। वे मुख्य रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) जैसी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने का काम करते हैं।

इसके बावजूद, रोजगार सेवक कई सालों से अपने अधिकारों और मान्यता को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उनका प्रमुख माँग है कि उन्हें राज्य कर्मचारियों का दर्जा दिया जाए, जिससे उन्हें अधिक सुरक्षा, सुविधाएँ और समान अधिकार मिल सकें।

रोजगार सेवक का महत्त्व(MGNREGA) : 

रोजगार सेवक सरकार की विभिन्न रोजगार गारंटी योजनाओं को लागू करने और निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी जिम्मेदारी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना, सरकारी योजनाओं की जानकारी देना, योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करना और श्रमिकों को उनके भुगतान से संबंधित समस्याओं को सुलझाना है।

MGNREGA जैसी योजनाओं के सफल संचालन के पीछे रोजगार सेवकों का बड़ा योगदान रहा है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को 100 दिन का रोजगार गारंटी प्रदान करती है। रोजगार सेवक गाँव-गाँव जाकर इस योजना का लाभ उठाने वाले श्रमिकों की पहचान करते हैं, और उन्हें समय पर मजदूरी दिलाने की व्यवस्था करते हैं।

रोजगार सेवकों की मांगें(MGNREGA) :

रोजगार सेवक कई सालों से अस्थायी रूप से कार्यरत हैं। उनकी प्रमुख माँग है कि उन्हें राज्य सरकार का स्थायी कर्मचारी बनाया जाए और अन्य सरकारी कर्मचारियों के समान अधिकार, वेतन और लाभ दिए जाएं। वर्तमान में, उन्हें बेहद कम वेतन पर काम करना पड़ता है और उनके पास कोई सुनिश्चित सेवा सुरक्षा नहीं होती। न तो उन्हें पेंशन योजनाएँ मिलती हैं और न ही अन्य स्वास्थ्य और बीमा संबंधी सुविधाएं।

उनकी प्रमुख माँगें निम्नलिखित हैं :

राज्य कर्मचारी का दर्जा : रोजगार सेवक चाहते हैं कि उन्हें स्थायी राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, जिससे वे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठा सकें।

वेतनमान में सुधार : रोजगार सेवकों का वेतन बहुत कम होता है। वे अपने काम के अनुसार उचित वेतन और अन्य भत्तों की माँग कर रहे हैं।

सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ : पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और अन्य सुविधाओं के बिना रोजगार सेवकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनकी माँग है कि उन्हें भी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह यह सुविधाएँ प्रदान की जाएं।

कार्य स्थिरता और भविष्य की सुरक्षा : अस्थायी पद पर कार्यरत होने के कारण रोजगार सेवकों को भविष्य की सुरक्षा नहीं मिलती। उन्हें हर समय नौकरी के खोने का डर बना रहता है।

सरकार की प्रतिक्रिया :

कई राज्यों में रोजगार सेवकों की मांगें लंबे समय से अनसुनी की जाती रही हैं। कुछ राज्य जैसे राजस्थान, उड़ीसा और हिमांचल प्रदेश सरकारों ने रोजगार सेवकों की माँगों को देखते हुए उनके वेतन में वृद्धि की है, लेकिन उन्हें अभी भी राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया गया है। कई बार यह मुद्दा राज्य विधानसभाओं में भी उठाया गया है, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

कुछ राज्यों में रोजगार सेवकों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किए हैं। उनका कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा डालने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

रोजगार सेवकों की माँग का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव : 

यदि रोजगार सेवकों को राज्य कर्मचारियों का दर्जा मिलता है, तो इसका समाज और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव हो सकता है। इससे रोजगार सेवकों को काम की स्थिरता मिलेगी, जिससे वे अपने कर्तव्यों का बेहतर तरीके से निर्वाह कर पाएंगे। इसके साथ ही, वे अपनी आजीविका की चिंता से मुक्त होकर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे, जिससे सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी अधिक प्रभावी होगा।

सामाजिक दृष्टि से, यह कदम रोजगार सेवकों के लिए एक बड़ी जीत साबित होगा, जिससे उनका मनोबल बढ़ेगा और वे अपने काम को अधिक उत्साह से करेंगे। वहीं आर्थिक दृष्टि से, स्थायी नौकरी मिलने से उनकी आय में सुधार होगा, जिससे वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकेंगे।

निष्कर्ष : 

रोजगार सेवक ग्रामीण और शहरी रोजगार योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके अधिकारों और सुविधाओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। राज्य सरकारों को रोजगार सेवकों की माँगों को गंभीरता से लेना चाहिए और उनके साथ न्याय करना चाहिए। राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलने से न केवल रोजगार सेवकों की स्थिति सुधरेगी, बल्कि यह सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को भी अधिक प्रभावी बनाएगा।

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